घर कुछ बोलता नहीं है पर सबको बांध कर रखता है सुख दुख की हर एक पल में सबके साथ मिलकर रहता है।। रोता है वो भी हमारे अनुपस्थिति में भाबनाएँ भी है उसकी बीते हुए कल की लम्होंमें।।
हम बोझ नहीं है हम अलक्ष्मी नहीं हैं हम अनमोल हैं!! हम सबको प्राप्त नहीं होते हैं हम किस्मत वालों के घर जन्म होते हैं!! हम गंदे नहीं हैं हम माँ-बाबा के गर्व हैं!! हम वर्तमान की कचरा नहीं होते
मैं और मेरे पापा मैं किताब हूँ तो मेरे पापा उसमें लिखी हुई शव्द मैं पतंग हूँ तो मेरे पापा मेरे ड़ोर मैं किरण हूँ तो मेरे पापा मेरे सूरज । मैं उड़ती हुई पंछी हूँ तो मेरे पापा मेरे खुली