बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ-लक्ष्मीप्रिया बेहेरा

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ.. बिन बेटी के अगर ये दुनियाँ, खूबसूरत बन जाती!! तो फिर हमको जनम देने वाली माँ, आज ये धरती पर नहीं होती.. बिन पढ़ाई में अगर बेटियाँ घर पर रह जाते, तो फिर देश की पहली नागरिक राष्ट्रपति
Hindi Poem
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ.. बिन बेटी के अगर ये दुनियाँ, खूबसूरत बन जाती!! तो फिर हमको जनम देने वाली माँ, आज ये धरती पर नहीं होती.. बिन पढ़ाई में अगर बेटियाँ घर पर रह जाते, तो फिर देश की पहली नागरिक राष्ट्रपति
चाह नहीं अमर पद का मेरे हँसने से मिट जाये दुख दर्द किसी के तनका । सौ सौं साल हंसूँ जग में लोभादि त्याग मन का ॥ मेरे भूखे रहने से भर जाये पेट किसी जन का । भूखा की रहूँ जगत
❤🩹शिक्षा ❤🩹 जीवन को सरस,सुंदर और सरल बनाने के लिए जो सबसे महत्वपूर्ण होता है,वो है शिक्षा.. अज्ञान रूपक अन्धकार को दूर कर के जो प्रकाश फैला दे,वो है शिक्षा.. बुझी हुई आश मे जो विश्वास जगा दे ,वो है शिक्षा.. कोई
*वही है पुरूष* 🍁🍁🍁🍁🍁 किसीके समझ में जो न आये, वही है पुरूष। नरम हृदय को जो पत्थर बना सके, वही है पुरूष। दर्द को छुपाकर जो हँस सके, वही है पुरूष। आँखों से जो आँसू बहने न दे, वही है पुरूष।
*हक़ तो नहीं है* हक़ तो नहीं है, किस हक़ से तुझे अपना कहूँ।। हक़ तो नहीं है, किस हक़ से तुझे प्यार जताऊँ।। हक़ तो नहीं है, फिर किस हक़ से तेरे पास मैं जाऊँ।। हक़ तो नहीं है, फिर किस
*समय मिले तो* समय मिले तो, रोज़ थोड़ा थोड़ा, मिलने आया करो न! हकीकत में न सही, सपनों में ही सही; तड़पता है दिल तुम्हारे बिना। रोज़ थोड़ा थोड़ा, मिलने आया करो न! आज भी दिल है, सुना सुना तुम्हारे बिना। रोज़
आ थाम लूं तेरा हाथ आ…थाम लूं तेरा हाथ कि तू कहीं गिर ना जाए, मेरे हाथ में दे तेरा हाथ कि दुबारा कहीं फिसल ना जाए । हमेशा हूं मैं तेरे साथ यह महसूस कर ले, हर खुशी हर गम
**सवाल ** ********** रात दिन के रंग.. धूप और परछाई की पहने परिधान.. मुहब्बत और रूसवाई की..! तन्हा कतरनें धड़कनों के चंद दिल के किसी कोमल से कोने में दुबके..! सहमे ओढ़े लिहाफ़… ठिठुरते…! ठंडक और गर्माहट की प्रतिबिंबों को… करते प्रतिबिंबित
और चलो साथ ढूंढें वो दीया ************************* ज्ञान के शब्दों के दीपक जलाना दिलों को भाईचारे के मोम सा गलाना खुद भी जीना औरों को भी जीलाना बीती कटु अनुभवों के पटाखे तुम जलाना सबके उम्मीदों के दीपक जला सको ऐसे दीपक
तुम्हे रासेश्वरी कहूँ या सुरसिका तुम्हे रासेश्वरी कहूँ या सुरसिका अतुलनीय सौंदर्यसम्राज्ञी या अनुपमेय प्रिया।। अग्नी में दाहरूपी, सूर्य में प्रभारूपी चंद्रमे शोभारूपी, कमलमे शोभनारूपी ज्ञान समृद्धी संपत्ती सगुण यशबल सर्वशक्तिमान ‘भग’ रूपी भगवती तुम्हें रासेश्वरी कहू या सुरसिका अतुलनीय सौंदर्यसम्राज्ञी या
💪जिबन तो जंग है💪 ये सुनलो दुनिया बालो हम को गरीबी ना बोलो खुद कमा के खाते है तुमारे जेसे नहीं सबको लुटके लेते है यहाँ तो लुटेराका राज है ईमानदारी का लाइफ खलास है इस दुनिया से हाम को क्या मिला