March 29, 2023
11 11 11 AM
ରାମ ନାମେ କି ରସ ଅଛି! — ସୀମାଞ୍ଚଳ ପଣ୍ଡା
ମନରେ ଆସୁ ମୋ ଶୁଦ୍ଧ ଭାବନା — ସୀମାଞ୍ଚଳ ପଣ୍ଡା
ସମୟ ମାଗୁଛି ସମ୍ମାନ ଟିକେ — ସୀମାଞ୍ଚଳ ପଣ୍ଡା
ଏ ସନ ଫଗୁଣ ନ ହେଉ କାଳ — ସୀମାଞ୍ଚଳ ପଣ୍ଡା                       
ପାନ ବଟୁଆ — ସୀମାଞ୍ଚଳ ପଣ୍ଡା               
ଅପେକ୍ଷାର ଫଳ ମିଠା — ସୀମାଞ୍ଚଳ ପଣ୍ଡା
ପଖାଳ — ସୀମାଞ୍ଚଳ ପଣ୍ଡା
ପ୍ରମାଦ — ସୀମାଞ୍ଚଳ ପଣ୍ଡା
ଦୟାର ସାଗର – ଡଃ ପ୍ରିୟମ୍ବଦା ସାମଲ
ନିଵେଦନ – ଅଶୋକ କୁମାର ପତି
ଯିବା ମୋ’ ଉତ୍କଳ ଖାଇବା ପଖାଳ- ଜାନକୀ ମହାନ୍ତ
ଯିବା ଉତ୍କଳ ଖାଇବା ପଖାଳ – ଡଃ ପ୍ରିୟମ୍ବଦା ସାମଲ
ପଚାଶ୍‌ ବଛର୍‌ ଆଗର୍‌ ମୋର ବହୂ ତାଁକର୍‌ ଆଉର୍‌ ମୋର୍‌ ମାଏନ୍‌ – ସୁଧୀର୍‌ ପଂଡା
ମୋ ଜୀବନ – ହେମନ୍ତ କୁମାର ସାହୁ ‌
ଶୀତ – ଶ୍ରୀମତୀ କୃଷ୍ଣା ଦାସ
ଖାସ ତୁମପାଇଁ – ଶ୍ରୀମତୀ କୃଷ୍ଣା ଦାସ
ନିବିଡ଼ତା – ଶ୍ରୀମତୀ କୃଷ୍ଣା ଦାସ
ହେ ଜୀବନ – ଶ୍ରୀମତୀ କୃଷ୍ଣା ଦାସ
ମୁଁ ଭାବିଥିଲି – ଶ୍ରୀମତୀ କୃଷ୍ଣା ଦାସ
କଥା ଦିଅ ସାଥି କେବେ ଛାଡ଼ିବନି ହାତ – ଭାସ୍କର ରାଉତ
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Jan
2023
23

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ-लक्ष्मीप्रिया बेहेरा

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ.. बिन बेटी के अगर ये दुनियाँ, खूबसूरत बन जाती!! तो फिर हमको जनम देने वाली माँ, आज ये धरती पर नहीं होती.. बिन पढ़ाई में अगर बेटियाँ घर पर रह जाते, तो फिर देश की पहली नागरिक राष्ट्रपति

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Jan
2023
10

चाह नहीं अमर पद का-डा० सुरेश कुमार अग्रवाल

चाह नहीं अमर पद का मेरे हँसने से मिट जाये दुख दर्द किसी के तनका । सौ सौं साल हंसूँ जग में लोभादि त्याग मन का ॥ मेरे भूखे रहने से भर जाये पेट किसी जन का । भूखा की रहूँ जगत

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Nov
2022
21

शिक्षा–लक्ष्मीप्रिया बेहेरा

❤‍🩹शिक्षा ❤‍🩹 जीवन को सरस,सुंदर और सरल बनाने के लिए जो सबसे महत्वपूर्ण होता है,वो है शिक्षा.. अज्ञान रूपक अन्धकार को दूर कर के जो प्रकाश फैला दे,वो है शिक्षा.. बुझी हुई आश मे जो विश्वास जगा दे ,वो है शिक्षा.. कोई

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Nov
2022
19

वही है पुरूष–सुब्रत कुमार विश्वाल

*वही है पुरूष* 🍁🍁🍁🍁🍁 किसीके समझ में जो न आये, वही है पुरूष। नरम हृदय को जो पत्थर बना सके, वही है पुरूष। दर्द को छुपाकर जो हँस सके, वही है पुरूष। आँखों से जो आँसू बहने न दे, वही है पुरूष।

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Nov
2022
17

हक़ तो नहीं है–सुब्रत कुमार विश्वाल

*हक़ तो नहीं है* हक़ तो नहीं है, किस हक़ से तुझे अपना कहूँ।। हक़ तो नहीं है, किस हक़ से तुझे प्यार जताऊँ।। हक़ तो नहीं है, फिर किस हक़ से तेरे पास मैं जाऊँ।। हक़ तो नहीं है, फिर किस

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Nov
2022
17

समय मिले तो–सुब्रत कुमार विश्वाल

*समय मिले तो* समय मिले तो, रोज़ थोड़ा थोड़ा, मिलने आया करो न! हकीकत में न सही, सपनों में ही सही; तड़पता है दिल तुम्हारे बिना। रोज़ थोड़ा थोड़ा, मिलने आया करो न! आज भी दिल है, सुना सुना तुम्हारे बिना। रोज़

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Sep
2022
10

आ थाम लूं तेरा हाथ — प्रियदर्शिनी मिश्र 

 आ थाम लूं तेरा हाथ   आ…थाम लूं तेरा हाथ कि तू कहीं गिर ना जाए, मेरे हाथ में दे तेरा हाथ कि दुबारा कहीं फिसल ना जाए । हमेशा हूं मैं तेरे साथ यह महसूस कर ले, हर खुशी हर गम

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Jun
2021
23

*सवाल– बालिका सेनगुप्त*

**सवाल ** ********** रात दिन के रंग.. धूप और परछाई की पहने परिधान.. मुहब्बत और रूसवाई की..! तन्हा कतरनें धड़कनों के चंद दिल के किसी कोमल से कोने में दुबके..! सहमे ओढ़े लिहाफ़… ठिठुरते…! ठंडक और गर्माहट की प्रतिबिंबों को… करते प्रतिबिंबित

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Nov
2020
17

और चलो साथ ढूंढें वो दीया – बालिका सेनगुप्ता

और चलो साथ ढूंढें वो दीया ************************* ज्ञान के शब्दों के दीपक जलाना दिलों को भाईचारे के मोम सा गलाना खुद भी जीना औरों को भी जीलाना बीती कटु अनुभवों के पटाखे तुम जलाना सबके उम्मीदों के दीपक जला सको ऐसे दीपक

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Oct
2020
17

तुम्हे रासेश्वरी कहूँ या सुरसिका

तुम्हे रासेश्वरी कहूँ या सुरसिका तुम्हे रासेश्वरी कहूँ या सुरसिका अतुलनीय सौंदर्यसम्राज्ञी  या अनुपमेय प्रिया।। अग्नी में दाहरूपी, सूर्य में प्रभारूपी चंद्रमे शोभारूपी, कमलमे  शोभनारूपी ज्ञान समृद्धी संपत्ती सगुण यशबल सर्वशक्तिमान ‘भग’ रूपी भगवती तुम्हें रासेश्वरी कहू या सुरसिका अतुलनीय सौंदर्यसम्राज्ञी या

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Jun
2020
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जिबन तो जंग है

💪जिबन तो जंग है💪 ये सुनलो दुनिया बालो हम को गरीबी ना बोलो खुद कमा के खाते है तुमारे जेसे नहीं सबको लुटके लेते है यहाँ तो लुटेराका राज है ईमानदारी का लाइफ खलास है इस दुनिया से हाम को क्या मिला

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