बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ.. बिन बेटी के अगर ये दुनियाँ, खूबसूरत बन जाती!! तो फिर हमको जनम देने वाली माँ, आज ये धरती पर नहीं होती.. बिन पढ़ाई में अगर बेटियाँ घर पर रह जाते, तो फिर देश की पहली नागरिक राष्ट्रपति
चाह नहीं अमर पद का मेरे हँसने से मिट जाये दुख दर्द किसी के तनका । सौ सौं साल हंसूँ जग में लोभादि त्याग मन का ॥ मेरे भूखे रहने से भर जाये पेट किसी जन का । भूखा की रहूँ जगत
शायद मैं गलत था!! शायद मैं गलत था!! क्योंकि किसी और के प्यार को, अपना समझ बैठा था। शायद मैं गलत था!! क्योंकि किसी और के दिए हुए दर्द को, कम करने चला था। शायद मैं गलत था!! क्योंकि
घर कुछ बोलता नहीं है पर सबको बांध कर रखता है सुख दुख की हर एक पल में सबके साथ मिलकर रहता है।। रोता है वो भी हमारे अनुपस्थिति में भाबनाएँ भी है उसकी बीते हुए कल की लम्होंमें।।
हम बोझ नहीं है हम अलक्ष्मी नहीं हैं हम अनमोल हैं!! हम सबको प्राप्त नहीं होते हैं हम किस्मत वालों के घर जन्म होते हैं!! हम गंदे नहीं हैं हम माँ-बाबा के गर्व हैं!! हम वर्तमान की कचरा नहीं होते