*वही है पुरूष*
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किसीके समझ में जो न आये,
वही है पुरूष।
नरम हृदय को जो पत्थर बना सके,
वही है पुरूष।
दर्द को छुपाकर जो हँस सके,
वही है पुरूष।
आँखों से जो आँसू बहने न दे,
वही है पुरूष।
जो जिम्मेदारी को बखूबी निभा सके,
वही है पुरूष।
जो हरजगह न होकर भी हो सके,
वही है पुरूष।
जो सिर्फ़ परिवार के बारे में सोचे,
वही है पुरूष।
जिसको कोई समझ न सके,
वही है पुरूष।
जिसको ए दुनिया,समय,परिस्थिति जितना भी सताए
पर उसके मुहँ में कभी ओफ़ तक न आये
वही है पुरूष।
*सभी को अंतरराष्ट्रीय पुरूष दिवस पर हार्दिक अभिनंदन और शुभकामनाएं।*🙏🙏
*सुब्रत कुमार विश्वाल,*
*अंतरा,अड़ा,बालेश्वर*