*समय मिले तो*
समय मिले तो,
रोज़ थोड़ा थोड़ा,
मिलने आया करो न!
हकीकत में न सही,
सपनों में ही सही;
तड़पता है दिल तुम्हारे बिना।
रोज़ थोड़ा थोड़ा,
मिलने आया करो न!
आज भी दिल है,
सुना सुना तुम्हारे बिना।
रोज़ थोड़ा थोड़ा,
मिलने आया करो न!
हकीकत में न सही,
सपनों में ही सही।
मिलने आया करो न!
ऐसे ही रातों को प्यार से
आया करो न!
कुछ और नहीं;
मेरे ऊपर प्यार की
सिंचाई कर जाओ न!
तुम्हें पता नहीं
ये दिल कितना पागल है,
तुम्हारे प्यार पाने के लिए
दिन रात घूमता रहता हूँ न!
रातों के करबटों में,
तुम्हें पास ढूँढ़ता हूँ न!
सुबह के सूरज के साथ,
तुम्हें हमेशा देखता हूँ न!
पर हक़ीक़त में,
तुम्हें जब नहीं पाता है;
पागल सा दिल और
पागल हो जाता हूँ न!
समय मिले तो
रोज़ थोड़ा थोड़ा,
मिलने आया करो न!
सुब्रत कुमार विश्वाल
अंतरा,अड़ा,बालेश्वर