*हक़ तो नहीं है* हक़ तो नहीं है, किस हक़ से तुझे अपना कहूँ।। हक़ तो नहीं है, किस हक़ से तुझे प्यार जताऊँ।। हक़ तो नहीं है, फिर किस हक़ से तेरे पास मैं जाऊँ।। हक़ तो नहीं है, फिर किस
*समय मिले तो* समय मिले तो, रोज़ थोड़ा थोड़ा, मिलने आया करो न! हकीकत में न सही, सपनों में ही सही; तड़पता है दिल तुम्हारे बिना। रोज़ थोड़ा थोड़ा, मिलने आया करो न! आज भी दिल है, सुना सुना तुम्हारे बिना। रोज़