शायद मैं गलत था!!
शायद मैं गलत था!!
क्योंकि किसी और के प्यार को,
अपना समझ बैठा था।
शायद मैं गलत था!!
क्योंकि किसी और के
दिए हुए दर्द को,
कम करने चला था।
शायद मैं गलत था!!
क्योंकि एक पिंजरे से तुम्हें,
आज़ाद करना जो चाहता था।
शायद मैं गलत था!!
क्योंकि तुम्हें ख़ुशहाली
जिंदगी देने के लिए
करीब तुम्हारे जो गया था।
शायद मैं गलत था!!
क्योंकि तुम्हें खुशी देने के लिए
ग़म को तुम्हारे बाँट लिया था।
शायद मैं गलत था!!
क्योंकि तुम्हें
दिल से चाहने जो लगा था।
माफ़ कर देना,
शायद मैं गलत था!!
सुब्रत कुमार विश्वाल
अंतरा,अड़ा,बालेश्वर